मुझ को खंज़र थमा दिया जाए
फिर मिरा इम्तिहाँ लिया जाए
ख़त को नज़रों से चूम लूँ पहले
फिर हवा में उड़ा दिया जाए
तोड़ना हो अगर सितारों को
आसमाँ को झुका लिया जाए
जिस पे नफरत के फूल उगते हों
उस शजर को गिरा दिया
एक छप्पर अभी सलामत है
बारिशों को बता दिया जाए
सोचता हूँ के अब चरागों को
कोई सूरज दिखा दिया जाए
6 टिप्पणियां:
kya khoob........
bahut khoob...
एक छप्पर अभी सलामत है
बारिशों को बता दिया जाए
jiyo bhai jiyo..............badhaai !
वाह-वाह, बहुत ख़ूब
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1. चाँद, बादल और शाम
2. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
ख़त को नज़रों से चूम लूँ पहले
फिर हवा में उड़ा दिया जाए
एक छप्पर अभी सलामत है
बारिशों को बता दिया जाए
सोचता हूँ के अब चरागों को
कोई सूरज दिखा दिया जाए
इन शेरोन को बार बार पढ़ रहा हूँ उअर भगवान् से विनती कर रहा हूँ की काश मैं 8-10 साल में भी इस तरह लिख sakoon
वीनस केसरी
जिस पे नफरत के फूल उगते हों
उस शजर को गिरा दिया
एक छप्पर अभी सलामत है
बारिशों को बता दिया जा
वाह...बेजोड़ ग़ज़ल...शुक्रिया.
नीरज
wah wah
बारिश की मुखबिरी
चलती रहेगी उनकी दादागिरी।
सूरज को दिखलाएंगे चिराग
तो वो दिन में भी बादल के पीछे
आंख मिचोनी खेलेगा।
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