वो नज़रों से मेरी नज़र काटता है
मुहब्बत का पहला असर काटता है
मुझे घर मैं भी चैन पड़ता नही था
सफ़र में हूँ अब तो सफ़र काटता है
ये माँ की दुआएं हिफाज़त करेंगी
ये ताबीज़ सब की नज़र काटता है
ये फिरका-परसती ये नफ़रत की आंधी
पड़ोसी, पड़ोसी का सर काटता है
तुम्हारी जफा पे मैं गज़लें कहूँगा
सुना है हुनर को हुनर काटता है
10 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर !!
तुम्हारी जफा पे मैं गज़लें कहूँगा
सुना है हुनर को हुनर काटता है
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अदभूत शेर लिखे है आपने.......बहुत ही खुब
ये माँ की दुआएं हिफाज़त करेंगी
ये ताबीज़ सब की नज़र काटता है
तुम्हारी जफा पे मैं गज़लें कहूँगा
सुना है हुनर को हुनर काटता है
--वाह!! लाजबाब!!
बहुत अच्छा लिखा है आपने ...!aajkal यही सब तो हो रहा है...
तुम्हारी जफा पे मैं गज़लें कहूँगा
सुना है हुनर को हुनर काटता है
आपका हुनर वाकई हुनर सुखन है
श्याम सखा
अच्छे शेर हैं
बधाई
Bahut umda gazal kahi aapne, bahut dino baad itni nok palak durust gazal mili.
wah ,kya baat hai .
Meri mangal kamnayen.
Aapka hee
Dr.Bhoopendra
bhai bahut khoob kaha,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
badhaai !
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
bahut sundar.narayan narayan
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